संख्या पद्धति | Number System Notes in Hindi
आज हम आपको Number System यानी की संख्या पध्दति के बारे में विस्तार से बतायेगें जो कि गणित का महत्वपूर्ण भाग हैं। अगर आप प्रतियोेगी परिक्षाओं की तैयरी करते होगें तो आप इसके बारे में बहुत अच्छे से जानते ही होगें और सभी प्रतियोगी परिक्षाओं में Number System से प्रश्न पूछे ही जाते हैं इस लिए Number System और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता हैं । इस लिए आप Number System In Hindi के विषय में जरूर जाने जिससे की आपको आपके किसी भी प्रतियोगी परिक्षा में Number System से आया हुआ प्रश्न गलत न होने पाये।
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अंक (Digits)
किसी भी संख्या को व्यक्त करने के लिए हम दस संकेतों 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 का प्रयोग करते हैं तथा इन दस संकेतों को अंक कहते हैं। दस संकेतों की यह पद्धति दाशमिक पद्धति कहलाती है। 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 को सार्थक अंक कहते हैं जबकि शून्य (0) असार्थक अंक कहलाता है।
संख्यांक (Numerals)
संख्या को व्यक्त करने वाले अंकों के समूह को संख्यांक कहते हैं।
किसी संख्या को लिखने के लिए हम दाई ओर से बाई ओर क्रमशः इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार, दस हजार, लाख, दस लाख, करोड़, दस करोड़, अरब, दस अरब, खरब, दस खरब, ….आदि स्थान लेते हैं।
जैसे- 208761435 को निम्न प्रकार निरूपित करते हैं।
पूर्णांक (Integer):
जो संख्याएं दशमलव संख्या वर्ग के समान होती हैं और इनमें कोई दशमलव भाग नहीं होता है, उन्हें पूर्णांक कहते हैं। उदाहरण के लिए, 0, 1, 2, -3, -4 आदि।
पूर्णांक निम्न दो प्रकार के होते हैं।
(1) धन पूर्णाक प्राकृतिक संख्याओं को धन पूर्णांक कहते हैं तथा इनके समुच्चय को I+ से प्रदर्शित करते हैं।
I+ = {1 ,2, 3, 4,....}
(2) ऋण पूर्णांक प्राकृतिक संख्याओं की ऋणात्मक संख्याओं को ऋण पूर्णांक कहते है तथा इसके समुच्चय I- से प्रदर्शित करते हैं।
I- = {-1, -2, -3, -4,...}
शून्य (0) न तो धन पूर्णांक है और न ही ऋण पूर्णांक
ऋण पूर्णांक संख्याओं का मान शून्य से कम तथा धन पूर्णाक संख्याओं का मान शून्य से अधिक होता है।
दशमलव संख्या (Decimal Number):
जो संख्याएं दशमलव संख्या वर्ग के समान होती हैं और इनमें एक दशमलव भाग होता है, उन्हें दशमलव संख्या कहते हैं। उदाहरण के लिए, 3.14, -0.5, 10.0 आदि।
अपरिमेय संख्या (Irrational Number) :
जो संख्याएं दशमलव संख्या होती हैं लेकिन इन्हें आसानी से अनंत दशमलव अंकों से वर्णित नहीं किया जा सकता है, उन्हें अपरिमेय संख्या कहते हैं। उदाहरण के लिए, √2, π, e आदि।
परिमेय संख्या (Rational Number):
जो संख्याएं दशमलव संख्या होती हैं लेकिन इन्हें आसानी से अनंत दशमलव अंकों से वर्णित किया जा सकता है, उन्हें व्यावहारिक संख्या कहते हैं। उदाहरण के लिए, 0.5, -3.25, 2/3, -5/7 आदि।
प्राकृतिक संख्या (Natural Number):
जो संख्याओं को संख्या श्रृंखला के आदि से लेकर अंत तक की पूर्ण संख्याएं होती हैं। उदाहरण के लिए, 1, 2, 3, 4, 5 आदि।
भाज्य संख्याएँ (Composite Numbers)
वे संख्याएँ, जिनका 1 व स्वयं के अतिरिक्त कम-से-कम एक और गुणनखण्ड हो, भाज्य संख्याएँ कहलाती है।
जैसे - 4, 12, 16, 21 आदि।
1 न तो भाज्य संख्या है और न ही अभाज्य
भाज्य संख्याएँ सम व विषम दोनों हो सकती है।
अभाज्य संख्या (Prime Number):
जो संख्याओं को सिर्फ अपने और 1 के बीच में भाग नहीं होती हैं। उदाहरण के लिए, 2, 3, 5, 7, 11 आदि।
केवल 2 ऐसी सम संख्या है, जो अभाज्य है तथा यह सबसे छोटी अभाज्य संख्या भी है।
सहअभाज्य संख्याएँ (Coprime Numbers)
ऐसी दो या अधिक प्राकृतिक संख्याएँ, जिनमें 1 के अतिरिक्त कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो, सहअभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं।
जैसे - (2, 3), (5, 9, 11), (16, 21, 65),... आदि।
सहअभाज्य संख्याओं का अभाज्य होना आवश्यक नहीं है।
बहुपदी संख्या (Polynomial):
जो एक या एक से अधिक अज्ञात संख्याओं को समानता या असमानता के रूप में प्रकट करने के लिए उपयोग किए जाने वाले संख्याओं की श्रृंखला होती है। उदाहरण के लिए, x² + 2x + 1, 3x³ - 2x² + x - 5 आदि।
गुणित संख्या (Composite Number):
जो संख्याओं को सिर्फ अपने और 1 के बीच में नहीं बल्कि अन्य संख्याओं से भी बिना शेष देखे विभाजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, 4, 6, 8, 9, 10 आदि।
काल्पनिक संख्या (Imaginary Number):
जो निर्दिष्ट संख्याओं को √-1 के रूप में प्रदर्शित करती हैं। ये संख्याएं अक्सर गणितीय व्यवहार में उपयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए, 3i, -2i, (1/2)i आदि।
वास्तविक संख्या (Real Number):
जो वास्तविक आकार और स्थानांतर से प्रतिनिधित्व करती हैं। ये सभी प्रकार की संख्याएं होती हैं। उदाहरण के लिए, 0, 2, -5, 1/2, √2 आदि।
विभाज्यता की जाँच (Test of Divisibility)
2 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 2 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसका इकाई का अंक कोई सम अंक अथवा शून्य (0) हो।
जैसे - 12, 240, 148 आदि सभी संख्याएँ 2 से विभाजित हैं।
3 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 3 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उस संख्या के अंकों का योग 3 से विभाजित हो।
जैसे - 465 ( अंको का योग, 4+6+ 5 = 15), 1338 ( अंकों का योग, 1+3+3+8 =15 ) आदि संख्याओं के अंकों का योग 3 से विभाजित है। अतः ये दोनों संख्याएँ 3 से विभाजित होंगी |
4 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 4 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या 4 से विभाजित हो।
जैसे - 156764 के अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या 64, 4 से विभाजित है।
अतः यह संख्या 4 से विभाजित होगी।
5 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 5 से पूर्णतया तभी विभाजित होगी, जब उसका इकाई का अंक 5 अथवा 0 हो।
जैसे - 695270 तथा 587765 दोनों 5 से विभाजित होगी, क्योंकि इन दोनों संख्याओं का इकाई का अंक या तो 0 है या 5 है।
6 से विभाज्यता :-
यदि कोई भी संख्या, 2 तथा 3 दोनों से विभाजित है, तब वह संख्या 6 से भी पूर्णतया विभाजित होगी।
जैसे - 36912, 2 से विभाजित है, क्योंकि इसका इकाई का अंक 2 है तथा यह 3 से भी विभाजित है क्योंकि इसके अंकों का योग 21 है। अतः यह संख्या 6 से भी विभाजित होगी।
7 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 7 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब संख्या के अन्तिम अंकों को दोगुना करके शेष अंकों से बनी संख्या में से घटाया जाए और इससे प्राप्त शेषफल 7 से भाज्य हो।
जैसे - 2429 का अन्तिम अंक 9 है और इसका दोगुना 9 × 2 = 18
शेष अंकों की संख्या = 242
शेषफल = 242 - 18 = 224
उपरोक्त प्रक्रिया पुनः दोहराने पर, शेषफल = 22 - 8 = 14 जोकि 7 से विभाजित है
अतः संख्या 2429 भी 7 से विभाजित होगी।
8 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 8 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसके अन्तिम तीन अंको से बनी संख्या
8 से विभाजित हो।
जैसे - 257192, 8 से विभाजित है, क्योंकि इसके अन्तिम तीन अंकों अंकों से बनी संख्या 192, 8 से विभाजित है।
9 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 9 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसके अंकों का योग 9 से विभाजित हो ।
जैसे - 29034, 9 से विभाजित है, क्योंकि इसके अंकों का योग 2 + 9 + 0 + 3 + 4 = 18, 9 से विभाजित है।
10 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 10 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसका इकाई का अंक 0 हो।
जैसे - 1987650, 10 से विभाजित होगी, क्योंकि इसमें इकाई का अंक 0 है।
11 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 11 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसके सम स्थानों के अंकों के योग तथा विषम स्थानों के अंकों के योग का अन्तर 0 हो अथवा 11 से पूर्णतया विभाजित हो ।
जैसे - 7127362 में, सम स्थानों के अंकों का योग = 6 + 7 + 1 = 14
तथा विषम स्थानों के अंकों का योगफल = 2 + 3 + 2 + 7 = 14
ஃ अन्तर 14 - 14 = 0
अतः संख्या 7127362, 11 से विभाजित होगी।
12 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 12 से पूर्णतया विभाजित होगी, यदि वह 3 तथा 4 दोनों से विभाजित हो ।
जैसे - 61788 5 तथा दोनों से विभाजित है।
अतः यह संख्या 12 से भी विभाजित होगी।
13 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 13 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब संख्या के अन्तिम अंक को 4 से गुणा करके शेष अंकों से बनी संख्या में जोड़ा जाए और इससे प्राप्त योगफल 13 से विभाजित हो ।
जैसे - 689 में अन्तिम अंक 9 है।
अब 9 को 4 से गुणा करके शेष संख्या में जोड़ने पर,
68 + 9 x 4 = 68 + 36 = 104
पुनः 10 + 4 x 4 = 10 + 16 = 26
जोकि 13 से विभाजित है। अत: संख्या 689, 13 से विभाजित होगी।
14 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 14 से पूर्णतया विभाजित होगी, यदि वह 2 तथा 7 दोनों से विभाजित हो ।
जैसे - 6384, 14 से विभाजित है, क्योंकि यह 2 तथा 7 दोनों से विभाजित है।
15 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 15 से पूर्णतया विभाजित होगी, यदि वह 3 तथा 5 दोनों से विभाजित हो ।
जैसे - 323505, 15 से विभाजित है, क्योंकि यह 3 व 5 दोनों से विभाजित है।
17 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 17 से पूर्णतया विभाजित होगी जब उसकी अन्तिम संख्या को 5 से गुणा करके शेष अंकों से बनी संख्या में से घटाया जाए और इससे प्राप्त शेषफल 17 से विभाजित हो जाए।
जैसे - 731 का अन्तिम अंक 1 है।
अब 1 की 5 से गुणा करके शेष संख्या में से घटाने पर शेषफल = 73 - 1 x 5 = 73 -5 = 68
जोकि 17 से विभाजित है।
अतः संख्या 731, 17 से विभाजित होगी।
18 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 18 से पूर्णतया विभाजित होगी यदि वह 2 तथा 9 से विभाजित हो।
जैसे - 386514, 18 से विभाजित है, क्योंकि यह 2 तथा 9 से पूर्णतया विभाजित है।
25 से विभाज्यता :-
कोई भी संख्या 25 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसके अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या 25 से विभाजित हो।
जैसे - 67025, 25 से विभाजित है, क्योंकि इसके अन्तिम दो अंक 25 से पूर्णतया विभाजित
If you have any doubt, please let me know.