प्रेरण मोटर का रोटर क्यों घूमता है या रोटर का घूमना या बलपूर्ण कैसे उत्पन्न होता है(Rotation of rotor or production of torque)
प्रेरण मोटर के रोटर के घूमने के कारणों को निम्न रूप से स्पष्ट किया जा सकता है। जब त्रिफेज प्रेरण मोटर की स्टेटर कुण्डलन को त्रिफेज सप्लाई से जोड़ा जाता है तो उसमें तुल्यकाली से घूमने वाला चुम्बकीय क्षेत्र या फ्लक्स उत्पन्न होता है। यह फ्लक्स वायु अन्तराल (air gap) (जो कि स्टेटर व रोटर के बीच होता है) से होकर रोटर सतह को स्पर्श करता हुआ रोटर के चालकों को काटता है। गतिमान फ्लक्स तथा स्थिर चालकों की सापेक्ष गति के कारण रोटर के चालकों में प्रेरण द्वारा एक वि० वा० बल उत्पन्न होता है (फैराडे के नियमानुसार) इस वि० वा० बल की मात्रा सापेक्ष गति (relative velocity) एवं रोटर चालकों की संख्या पर निर्भर करती है (क्योंकि चालकों की संख्या स्थिर है) यदि रोटर में उत्पन्न वि० वा० बल की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियमानुसार ज्ञात की जाये तो वह दिशा लैंज सिद्धान्त (Lenz law) के अनुसार सप्लाई वोल्टता की विपरीत दिशा में होती है। चूँकि रोटर चालक आपस में लघुपथित (short circuit) होते हैं इसलिये उनमें एक उच्च धारा उत्पन्न होती है। रोटर चालकों में धारा प्रवाह के कारण रोटर में अपना निजी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा।
नीचे दिए गए चित्र के अनुसार कल्पना कीजिये कि स्टेटर क्षेत्र या फ्लक्स दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में घूम रहा है। रोटर की सापेक्ष गति स्टेटर के प्रति वामावर्त (anticlock- wise) होगी। दक्षिण हस्त नियम के अनुसार प्रेरण द्वारा उत्पन्न वि० वाहक बल की दिशा बाहर की ओर है, इसलिये केवल रोटर धारा के कारण फ्लक्स की दिशा चित्र 1.8 (ब) में दिखाई गई है। अब वाम हस्त नियम के अनुसार या संयुक्त क्षेत्र या फ्लक्स के प्रभाव द्वारा चित्र 1-8 (स) से यह स्पष्ट है कि रोटर के चालक एक बल का अनुभव करते हैं जो उन्हें दक्षिणावर्त दिशा में घुमाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार रोटर ठीक स्टेटर फ्ल्कस की दिशा में घूमना आरम्भ कर देता है।
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